कुश्ती पहलवानी का नाम सुनते ही एक नाम सबसे पहले आता है वो है- गामा पहलवान।
अमृतसर में पैदा हुए गामा पहलवान का असल नाम था- ग़ुलाम मोहम्मद.
10 साल की उम्र में उन्होंने पहली कुश्ती लड़ी थी.
पहली बार उन्हें चर्चा मिली उस दंगल से जो जोधपुर के राजा ने 1890 में करवाया था.
छोटे उस्ताद गामा ने भी उस दंगल में हाज़िरी दे डाली थी. जोधपुर के राजा ने जब गामा की चपलता और कसरत देखी तो दंग रह गए.
गामा पहले 15 पहलवानों में आये. राजा ने गामा को विजेता घोषित किया.
17 सितम्बर, 1910 के दिन विश्व विजेता पोलैंड स्तानिस्लौस ज्बयिशको लड़ने ही नहीं आए. गामा को विजेता मान लिया गया.
1947 में हालात ख़राब थे.तब उन्होंने कहा था इस गली के हिंदू मेरे भाई हैं. देखें इनपर कौन सा मुसलमान आंख या हाथ उठाता है!’
सूत्रों के अनुसार, गामा प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन 40 पहलवानों के साथ अखाड़ा में कुश्ती किया करते थे। गामा एक दिन में 5000 उठक-बैठक (squats) और 3000 दंड (pushups) किया करते थे।
तो ये थे कुछ जानकारी हमारे विश्व विजेता गामा पहलवान के बारे में.