शादी के लिए प्यार का होना जरूरी है। कुछ लोग इसी प्यार के लिए अपनी जिन्दगी समर्पित कर देते हैं.

कुछ ऐसे ही हैं हमारे रतन टाटा (Ratan tata) का प्यार इतना गहरा था कि जब वो पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने शादी जैसे शब्द को ही अपनी जिंदगी से बाहर निकालकर फेंक दिया। 

रतन टाटा ने अपने लव लाइफ के बारे में खुद एक इंटरव्यू में खुलासा किया था। 

उन्होंने बताया था कि जब वो लॉस एंजलिस में थे और आर्किटेक्चर फर्म में काम करते थे इस दौरान उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई। 

यंग रतन टाटा का दिल उस लड़की के लिए धड़कने लगा। दोनों एक दूसरे को चाहने लगे थे। 

वो बताते हैं कि लड़की की लाइफस्टाइल बहुत ही कम्फर्टेबल थी। दोनों अपने रिश्ते को शादी की मुकाम तक ले जाना चाहते थे। 

इस बीच रतन टाटा को इंडिया आना पड़ा। वो अपनी सात साल से बीमार दादी की देखभाल करने के लिए वापस यहां आ गए। 

इसके बाद वो फिर से अमेरिका गए। वो अपने प्रेमिका से मिले और इंडिया लाने का मन बनाया।  

लेकिन 1962 के युद्ध ने ऐसा नहीं होने दिया। लड़की के माता-पिता ने युद्ध के कारण उसे भेजने से इंकार कर दिया। जिसके बाद उनका रिश्ता टूट गया। 

उसके बाद उन्होंने आजीवन शादी न करने के फैंसले के साथ खुद को पूरी तरह पैतृक  बिजनेस 'द टाटा ग्रुप' के लिए समर्पित कर दिया। 

ये सच है कि सच्चे प्यार को भुलाना आसान नहीं होता है। बावजूद जिंदगी चलने का नाम है। 

आज के युवा इसे नहीं समझ पाते हैं। प्यार टूटा नहीं कि वो डिप्रेशन में चले जाते हैं, गलत आदत को अपना लेते हैं।  

रतन टाटा से सीखते हुए खोए प्यार को अपना ताकत बना ले और काम पर फोकस करें और आगे बढ़ें।